8TH SEMESTER ! भाग- 108( An Unconscious Break-5)
"घंटा मेरा... जब तू बाद मे दोबारा आया और कॉलर किया तो मैने सोचा था कि तू अब इन सबको मारेगा लेकिन तू तो एक नंबर का फट्टू निकला बे ...हाए राम ! लगता है किडनी,लिवर सब फूट गया है... उस भड़वे नौशाद ने सीधे एक लात पेट पर दे मारी है....तू आज के बाद मुझसे बात मत करना..."
"अबे इतना भी नही मारा उन लोगो ने,जो तू ऐसे लौन्डियो की तरह रो रहा है... मुझे भी तो मारा. लेकिन लड़कियों कि इज्जत तो बच गई ना... इतने मार से डर गया तू, ऐसे मे देश की क्या खाक सेवा कैसे करेगा... देश के लिए तेरी कुर्बानी चाहिए मुझे..चार गोली तेरे सीने मे देखना चाहता हूँ मैं, इंडिया -पाकिस्तान बॉर्डर पे..."
"अरे भाड़ मे जाए देश... जब तू दिव्या और ऐश को लेकर यहाँ से भागा था,तभी उन चारो ने मिलकर मुझे जमकर ठोका,...."
"ले अभी फिलहाल पानी पी ,शाम को दारू पिलाउन्गा...और तू कहे तो अभी ,इसी वक़्त दिव्या से भी बात करता हूँ... तेरे बारे मे..."
"दारू-पानी छोड़,पहले दिव्या से बात करवा...जिसके लिए मैने इतनी मार खाई है..."मेरे कंधे के सहारे खड़ा होते हुए अरुण कराहते हुए बोला"वैसे ये बता कि अब दिव्या मुझसे इंप्रेस तो हो जाएगी ना..."
"बेटा... दिव्या इंप्रेस तब हुई होती ,जब तू पिट कर नही पीट कर आया होता...."
"मतलब ये सब..इतना मार खाना...सब बेकार गया..??"
"और नहीं तो क्या... नेकी कर दरिया मे डाल..."
"तू साले दोस्त के नेम पर कलंक है..."
"और ये कलंक ज़िंदगी भर नही छूटेगा...😉"
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वहाँ से हम दोनो एक दूसरे को सहारा देकर, एक -दूसरे का सहारा बनकर पार्किंग की तरफ बढ़े. उस दौरान, यानी पार्किंग कि तरफ जाते हुए मैं रास्ते भर यही दुआ करता रहा कि ऐश ,दिव्या के साथ वही अपनी कार मे मौजूद हो...क्यूंकी ये मेरे 1400 ग्राम के दिमाग़ मे उपजे प्लान का हिस्सा था और यदि ऐसा नही हुआ तो फिर एक बहुत भयानक तूफान आने वाला था,जिसे मैं चाहकर भी नही रोक पाता...पर मेरी किस्मत ने यहाँ पर मेरा साथ दिया ,जैसा कि अक्सर देती थी....कभी-कभी तो मुझे शक़ होने लगता कि मैं किस्मत का गुलाम हूँ या किस्मत मेरी गुलाम है.... तेज दिमाग़ होने का यही फायदा है... भूत, वर्तमान, भविष्य... तीनो मेरी मुट्ठी मे है.
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"बिल्ली दरवाजा खोल..."कार के शीशे पर नॉक करते हुए मैने कहा और अरुण को वही खड़ा कर दिया लेकिन उसके अगले पल ही अरुण ज़मीन मे बिखर गया,उससे अपने पैरो पर खड़ा भी नही हुआ जा रहा था....
"साले एक्टिंग कर रहा है ना तू.. ताकि दिव्या दौड़कर तेरे पास आए और तेरा हाथ पकड़ कर तुझसे तेरा हाल पूछे...??"
"शरीर का जो एक-दो हिस्सा सही-सलामत है,तू उसका भी भरता बना डाल...हॉस्पिटल ले चल भाई..."ज़मीन पर पड़े-पड़े अरुण मुझपर चीखा...
"सच मे तुझे इतना दर्द हो रहा क्या...??? सॉरी यार,मैने ध्यान नही दिया..."
मैने अरुण को सहारा देकर वापस उठाया...
"जल्दी से कार का पीछे वाला गेट खोलो दिव्या... वो लोग हमें ढूंढते -ढूंढते इधर ही आ रहे है... जल्दी..जल्दी... अरे जल्दी खोल ना...."
कार का गेट खुलते ही, मैने अरुण को कार के पीछे वाली सीट पर धकेला और उसके अंदर बैठने के बाद मैं खुद भी कार के पीछे वाली एक सीट पर समा गया...
"चलो..."कार के अंदर बैठकर मैने दिव्या से कार चलाने के लिए कहा...
"कहाँ चलें..."पीछे पलट कर ऐश बोली...
"अमेरिका चल,जापान चल,चीन चल,पाकिस्तान चल...जहाँ मर्ज़ी हो वहाँ चल...लेकिन इस वक़्त यहाँ से चल...बिल्ली कही की, दिमाग़ तो है ही नही.. बताया ना की... वो लोग हमें ढूंढते हुए यहाँ आ रहे है..."
वो लोग वापस आ रहे है, अबकी बार ये सुनते ही दिव्या ने कार स्टार्ट की और कार को कॉलेज के मेन गेट की तरफ तेज़ी से दौड़ा दिया .
"अबे तूने इन दोनो को तो बचा लिया,लेकिन अब सवाल ये है कि नौशाद और पूरे हॉस्टल से हमे कौन बचाएगा....अब तो ना घर के रहे ना घाट के...मतलब कि ना सिटी वालो के रहे और ना हॉस्टल वालो के...जहाँ जाएँगे ठुक कर आएँगे...अरमान तूने तो मुझे जीते जी मार दिया, बे....."अरुण थोड़ा तेज से बोला..ताकि दिव्या उसका एक -एक शब्द सुन ले
"क्या यार... तू भी ऐसे तूफ़ानी सिचुयेशन मे ऐसा सड़ा सा डाइलॉग मार रहा है...और हॉस्टल वालो की फिकर छोड़ दे ,क्यूंकी अभिच मेरे भेजे मे एक न्यू प्लान आएला है..."
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मेरा मोबाइल एक बार फिर बज उठा और मैने घड़ी मे टाइम देखा...घड़ी का सबसे छोटा काँटा अब भी सिर्फ़ 9 पर अटका हुआ था,लेकिन फिर भी मुझे ऐसा लगा कि शायद ये कॉल निशा ने की होगी....मैं तुरंत बिस्तर से उठा और कूदकर टेबल पर से अपना मोबाइल उठाकर स्क्रीन पर नज़र डाली...नंबर अननोन था लेकिन कुछ जाना-पहचाना सा लग रहा था....
"हेलो..."
"क्या यार बलराम भाई...माल अभी तक नही पहुचा, भाई मुर्गियो के अन्डो वाला एक ट्रक आख़िर है किधर....कब तक इंतज़ार करूँ..."
ये सुनते ही मैने नंबर पर नज़र डाली और समझ गया कि क्यूँ मुझे ये नंबर जाना-पहचाना सा लग रहा था...
"क्या बोला,माल अभी तक नही पहुचा..."मैने कहा
"अरे नही पहुचा...वरना क्या मैं झूठ बोलता ,तेरे चक्कर मे मैं एक से गाली भी खा चुका हूँ..."
"एक काम करो, अंडे वाला ट्रक नहीं पंहुचा ना...??"
"नहीं..."
"तो फिर एक काम करो... अपने दोनो अंडे, अपने बाप के दोनों अंडे, अपने भाई के दोनों अंडे, अपने बेटे के दोनों अंडे... निकाल कर भिजवा दो... तब तक जिन्होंने आर्डर किया है, वो खाते रहे फिर मै ट्रक भिजवाता हूँ..."
"ओये बलराम क्या बक रहा है... साले, तमीज नहीं है क्या "
"अगर अगली बार से इस नंबर पर कॉल किया तो तेरे अंडे निकालकर तुझे ही खिला दूँगा...बक्चोद साले,अनपढ़... नंबर देख के डायल कर... हरामी... फोन रख, तेरी माँ की "
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"कौन था..."अरुण ने मेरा लाल होता हुआ चेहरा देखकर पुछा...
"पता नही साला कोई अंडे वाला है...ग़लती से बार-बार मुझे ही कॉल लगा देता है...बकचोद साला"
"अरे हटा उस अंडे फंडे वाले को और तू आगे बता ,फिर क्या हुआ..."वरुण ने मुझे पकड़ा और पकड़ कर सीधे बेड पर खीच लिया...
"अरुण की संगत मे तू भी गे टाइप हरकत करने लगा है... वरुण "
"यही तो प्यार है पगले ...तू आगे बता.."
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"तुम दोनो आज कैंटीन मे जो हुआ,उसका जिक्र किसी से भी मत करना...अपने आप से भी नही..."जब कार कॉलेज के बाहर पहुंची तो मैने ऐश और दिव्या से कहा...
"ऐसा क्यूँ...हम तो इसकी शिकायत प्रिन्सिपल से करेंगे..."ऐश से तुरंत पीछे पलट कर दो टूक जवाब दिया...
"और मैं इसकी शिकायत अपने डैड से करूँगी..."दिव्या ने भी पीछे पलट कर जवाब दिया...
"पहली बात तो ये कि दिव्या तू आगे देख कर ड्राइव कर और दूसरी बात ये कि....." "ऐश की तरफ देखकर मैने कहा"सुन बिल्ली,यदि ऐसा हुआ तो उन दोनो का करियर खराब हो जाएगा लेकिन मुझे उनके करियर की बिल्कुल भी परवाह नही है दरअसल बात ये है कि यदि ये मामला कॉलेज मे उछला तो इसका रिज़ल्ट ये होगा कि नौशाद और उसके दोस्त कॉलेज से निकले जाने के साथ-साथ जेल भी जाएँगे..."
"तो इसमे प्राब्लम क्या है..."दिव्या एक बार फिर पीछे मुड़कर बोली...
"तू आगे देख के कार चला ना वरना किसी को ठोक-ठाक दिया तो सत्यानाश हो जाएगा..."
"दिव्या ने सही कहा,इसमे प्राब्लम क्या है...उनके साथ ऐसा ही होना चाहिए..."दिव्या का समर्थन करते हुए ऐश ने कहा"डॉन'ट वरी ,हम तुम दोनो को इन्वॉल्व नही करेंगे..."
"सुनो रे, कन्याओं ...इस केस मे हम दोनो कबके इन्वॉल्व हो चुके है...और मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ क्यूंकी कैंटीन मे हमारी ठुकाई करने के बाद उन्होने हमे जान से मारने की धमकी दी है..."